HomeEntertainmentफिल्म समीक्षा: "केसरी 2"- जलियांवाला बाग की गूंज और न्याय की जंग

फिल्म समीक्षा: “केसरी 2”- जलियांवाला बाग की गूंज और न्याय की जंग

जब इतिहास के पन्नों में दबी सच्चाई को पर्दे पर जीवंत किया जाता है, तो वह केवल एक कहानी नहीं रह जाती, बल्कि एक अनुभव बन जाती है। ऐसी ही एक फिल्म है “केसरी चैप्टर 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग”, जो न केवल दर्शकों को झकझोरती है, बल्कि एक ऐसे नायक की दास्तान सामने लाती है, जिसे इतिहास अक्सर नजरअंदाज कर देता है।

कहानी की झलक:

“केसरी 2” की कहानी वर्ष 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के इर्द-गिर्द घूमती है। यह फिल्म मुख्य रूप से सी. शंकरन नायर की ज़िंदगी और उनके ऐतिहासिक कानूनी संघर्ष पर आधारित है। नायर एक वरिष्ठ भारतीय वकील थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत दिखाई — एक ऐसा कदम जिसे उस दौर में जानलेवा माना जाता था।

जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद, जब ब्रिटिश हुकूमत ने खुद को निर्दोष ठहराया, नायर ने कोर्ट में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। यही कानूनी लड़ाई इस फिल्म का केंद्र बिंदु है।

अभिनय और निर्देशन:

अक्षय कुमार (सी. शंकरन नायर के रूप में):

अक्षय कुमार ने अपने करियर के कुछ सबसे दमदार किरदारों में एक और नाम जोड़ दिया है। उनका अभिनय दृढ़, संवेदनशील और प्रेरणादायक है। अदालत के दृश्यों में उनकी संवाद अदायगी और हावभाव वाकई सराहनीय हैं। वे इस किरदार को सिर्फ निभाते नहीं, बल्कि जीते हैं।

आर. माधवन (ब्रिटिश वकील के रूप में):

माधवन की उपस्थिति फिल्म को गंभीरता और संतुलन प्रदान करती है। उनकी आंखों में छलकता घमंड और अदालत में उनके तर्क दर्शकों को बांधे रखते हैं।

अनन्या पांडे (जर्नलिस्ट के रूप में):

अनन्या पांडे ने एक उभरती पत्रकार की भूमिका निभाई है, जो इस ऐतिहासिक मुकदमे की रिपोर्टिंग करती है। यह उनके लिए एक गंभीर रोल है और उन्होंने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया है।

निर्देशक करण सिंह त्यागी:

करण सिंह त्यागी ने इतिहास को केवल दोहराया नहीं, बल्कि उसे जीवंत किया है। फिल्म में उन्होंने वास्तविक घटनाओं के साथ ड्रामा का संतुलन बखूबी साधा है। न तो कहानी में भावनाओं की अति है और न ही तथ्यों की कमी।

तकनीकी पक्ष:

  • सिनेमैटोग्राफी: जलियांवाला बाग का पुनर्निर्माण और अदालत के दृश्य अत्यंत यथार्थवादी ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। प्रकाश और फ्रेमिंग शानदार हैं।
  • संगीत: पृष्ठभूमि संगीत फिल्म की गंभीरता को और प्रभावशाली बनाता है। पार्श्व संगीत दर्शकों को कहानी में पूरी तरह डुबो देता है।
  • डायलॉग्स: कोर्ट रूम में बोले गए संवाद फिल्म की जान हैं – दमदार, तीखे और दिल से निकले हुए।

फिल्म की खास बातें:

  • यह फिल्म एक अनकही कहानी को सामने लाती है।
  • भारतीय न्याय व्यवस्था की ऐतिहासिक ताकत को दर्शाती है।
  • ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय आवाज़ को गूंज देती है।
  • यह फिल्म न केवल मनोरंजन है, बल्कि शिक्षा और प्रेरणा का माध्यम भी है।

कमज़ोरियाँ:

  • फिल्म की गति कुछ जगह धीमी हो जाती है, विशेषकर बीच के हिस्सों में।
  • कुछ पात्रों का विकास अधूरा रह गया है, जिनसे और जुड़ाव हो सकता था।

निष्कर्ष:

“केसरी 2” केवल एक ऐतिहासिक फिल्म नहीं है — यह न्याय की लड़ाई, साहस की कहानी और सत्य के लिए खड़े होने की प्रेरणा है। यह फिल्म हर उस भारतीय को देखनी चाहिए जो अपने इतिहास से जुड़ना चाहता है। अक्षय कुमार ने फिर साबित किया कि सिनेमा न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक जागरूकता का ज़रिया भी है।

TalesXP रेटिंग: 4.5/5

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